ये इश्क-मोहब्बत की रिवायत भी अजीब है।
पाया नहीं है जिसे उसे खोना भी नहीं है।
बातें नहीं होती तो क्या हुआ?
मोहब्बत तो फिर भी बेहिसाब करते हैं।
बादशाह थे हम अपने मिजाज के।
कमबख्त इश्क ने तेरे दीदार का
फकीर बना दिया।
तेरे लिए मांगी मेरी दुआओं में वो नूर होगा।
कि एक बार फिर तेरे-मेरे मिलने का दस्तूर होगा।
अपनी आँखों के समंदर में
उतर जाने की इजाजत दे दे मुझको।
उनमे डूब कर मर जाने की
इजाजत दे दे मुझको।